इश्क की गलियों में हम भिखारी हैं जो भी मिल जाए गुजारा हो जाता है दूसरों की शानों शौकत की तरह चाहत है मगर क्या करें हर किसी का ख्वाब पूरा नहीं होता
इशारों से काम चलेगा नहीं अब इजहार तुमको करना ही होगा नहीं तो चाहत की गलियां दूर हो जाएंगी उनका प्यार पाना है तो संभलना ही होगा