इश्क एक दरिया है अगर तुम पार ना हो सके तो डूब जाओगे खुद को कोसने लगोगे वहां आंसू बहाओ गे फिर जहां से चले थे फिर उसी जगह लौट जाओगे
इश्क की गलियों में हम भिखारी हैं जो भी मिल जाए गुजारा हो जाता है दूसरों की शानों शौकत की तरह चाहत है मगर क्या करें हर किसी का ख्वाब पूरा नहीं होता