मैं धीरे-धीरे फिसलता गया उसकी मीठी मीठी बातों में उसका इरादा नेक नहीं था उसकी नजर मेरी नोटों से भरी जेब पर था जब तक मुझको होश हुआ सब कुछ लुट चुकी थी वह
इशारों से काम चलेगा नहीं अब इजहार तुमको करना ही होगा नहीं तो चाहत की गलियां दूर हो जाएंगी उनका प्यार पाना है तो संभलना ही होगा