मैं धीरे-धीरे फिसलता गया उसकी मीठी मीठी बातों में उसका इरादा नेक नहीं था उसकी नजर मेरी नोटों से भरी जेब पर था जब तक मुझको होश हुआ सब कुछ लुट चुकी थी वह
इश्क की गलियों में हम भिखारी हैं जो भी मिल जाए गुजारा हो जाता है दूसरों की शानों शौकत की तरह चाहत है मगर क्या करें हर किसी का ख्वाब पूरा नहीं होता